शहतूत फसल उत्पादन प्रौद्योगिकी
मिट्टी
- दोमट मिट्टियों में चिकनी बलुई मिट्टी ज्यादा पसंद की जाती है।
- 6.5 से 7.0 तक का मृदा पीएच अधिक आदर्श है।
- अगर मिट्टी अम्लीय हो (पीएच 7.0 से नीचे) तो चूना मिलाया जाता है।
- अगर मिट्टी क्षारीय है (पीएच 7.0 से ऊपर) जिप्सम मिलाया जाता है।
तापमान
- 20 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान शहतूत के पौधों की वृद्धि के लिए उपयुक्त होता है।
वर्षा
- आवश्यक इष्टतम वर्षा – 1000 – 1500 मिमी.
पौधशाला पालन
- मौसम: वर्ष में जून से जुलाई और नवंबर-दिसंबर।
- प्रकार: V1 या एस36
जमीन तैयार करना
- ऊँचा, समतल, अच्छी तरह से सूखी हल्की बनावट, गहरी दोमट मिट्टी या बलुई मिट्टी का चयन करें।
- दोनों दिशाओं में दो बार गहरी खुदाई/जुताई कराएं।
- खुदाई/जुताई के 10-15 दिनों के बाद एक सही झुकाव दें।
- 300 × 120 सेमी (लंबाई और चौड़ाई) आकार की क्यारी तैयार करें।
- 25-30 सेमी चौड़ाई और 15-20 सेमी गहरी चैनल नाली बनवाएं।
- 20 किग्रा एफवाईएम / प्रति क्यारी का प्रयोग करें।
कटाई की तैयारी
- रोपण सामग्री के रूप में आठ महीने पुरानी टहनियों का प्रयोग करें।.
- 15-20 सेमी लंबाई और 3-4 सक्रिय कलियों सहित 1-1.5 सेमी व्यास की कलमें तैयार करें।
- कलमों को जूट के गीले कपड़े में लपेट कर छाया में रखें।
- अगर प्रत्यारोपण आगे बढ़ाया/स्थगित कर दिया गया है तो पानी छिड़कें।
रोपण तकनीक
- पंक्तियों के बीच 20 सेमी और कलमों के बीच 8 सेमी का फासला रखें।
- कलमों को डालने के लिए मिट्टी में एक कुंदे (स्टॉक) से छेद बनाएं।
- कलमों को तिरछी स्थिति में लगाएं।
- कलमों के आसपास की मिट्टी को मजबूती से दबाएं।
- घास-फूस, सूखे शहतूत की टहनियों आदि से सड़ी खाद (मल्चिंग) प्रदान करें।
- सूखे की अवधि के दौरान सप्ताह में एक बार पौधशाला (नर्सरी) की सिंचाई करें।
शहतूत पौधशाला (नर्सरी) का रखरखाव
- सूखे की अवधि के दौरान सप्ताह में एक बार पौधशाला (नर्सरी) की सिंचाई करें।
- पौधशाला (नर्सरी) की क्यारी को खरपतवार से मुक्त रखें।
पौधशाला में उर्वरक का प्रयोग
- विकास के 55-60 दिनों के बाद, 500 ग्राम अमोनियम सल्फेट या प्रत्येक क्यारी के लिए 250 ग्राम यूरिया का सिंचाई के पानी में घोल कर प्रयोग करें
शहतूत पौधशाला (नर्सरी) में रोग और कीट प्रबंधन
- टुकरा के खिलाफ 0.1% डीडावीपी का छिड़काव करें।
- भुरभुरी (पाउडरी) फफूंद के खिलाफ 0.1% बैविस्टिन का छिड़काव करें।
प्रत्यारोपण (रोपाई)
- तीन चार महीने के बाद, पौधे रोपाई के लिए तैयार हो जाते हैं।
- रोपाई के पहले पौधशाला की क्यारियों की सिंचाई करें।
- एक कुदाल या उखाड़ने वाली कुल्हाड़ी से पौधों को उखाड़ें।
- कम समय के लिए संरक्षण करना हो तो पानी छिड़कें।
- यदि लंबी दूरी तक परिवहन आवश्यक है, तो जड़ों को सुखने से बचाने के लिए गीले जूट के कपड़े में पौधों को पैक करें।
मुख्य क्षेत्र में वृक्षारोपण
मौसम : जून-सितंबर (मानसून के दौरान)
जमीन तैयार करना
- बिजली के हल या ट्रैक्टर से 30 सेमी की गहराई तक जुताई और फिर से जुताई के द्वारा मानसून की बारिश के पहले जमीन तैयार करें।
युग्म पंक्ति वृक्षारोपण के लिए तैयारी
- युग्म पंक्ति प्रणाली के लिए (150 सेमी + 90 सेमी) × 60 सेमी का अंतर रखने की सिफारिश की गई है।
- वृक्षारोपण के इस प्रकार में एक हेक्टेयर जमीन पर 13,887 पौधों को लगाया जा सकता है।
- फासला रखने की इस प्रणाली से अंतर-फसल कार्यों के लिए ट्रैक्टर/बिजली के हल का उपयोग कर मशीनीकरण को अपनाने की सुविधा होती है।
- मानसून के दौरान पौधों को रोपें और पौधों के चारों ओर मिट्टी को मजबूती से दबाएँ।
- सूखे पत्ते/घास-फुस/ शहतूत की टहनियों से पौधों को सड़ी घास का आधार प्रदान करें।
- रोपाई के तुरंत बाद पौधों को पानी दें।
फसल प्रबंधन प्रथाएं
- खर-पतवार को खत्म करने और वायु संचरण के लिए वृक्षारोपण के एक महीने के बाद एक हल्की खुदाई करें।
- एक महीने के अंतराल पर दो बार और हल्की खुदाई और निराई करें।
- आवश्यकता के अनुसार पौधों की सिंचाई करें।
- 25 मीट्रिक टन/ प्रति हेक्टेयर/प्रति वर्ष की दर से एफवाईएम का प्रयोग करें।
- दूसरे साल से आगे 350:140:140 /प्रति हेक्टेयर/प्रति वर्ष की दर से एनपीके का प्रयोग करें।
- V1 या एस36 किस्म/वर्ष से पांच फसलों को लिया जा सकता है।
प्रौद्योगिकी का नाम: “पोषण” शहतूत में पोषक तत्वों की कमी को नियंत्रित करने के लिए एक बहु-पोषक सूत्रीकरण।
सिफारिश का वर्ष: 21.11. 2011
प्रौद्योगिकी की प्रमुख विशेषताएं:
- शहतूत में पोषक तत्वों की कमी को सही करने के लिए विकास प्रवर्तकों के साथ संतुलित पोषक तत्वों का एक बहु-पोषक सूत्रीकरण।
- तेजी से उपयोग और कमी को पूरा करने के लिए, मिट्टी में प्रयोग की तुलना में तेजी से पोषक तत्व प्रदान करता है।
- शहतूत की पत्ती की गुणवत्ता (कुल प्रोटीन – 45.93%, कुल शर्करा – 46.34% और पत्तों की नमी – 20.98%) बढ़ाता है तथा पोषक तत्वों की कमी नियंत्रण की तुलना में पत्तों की उपज की हानि को 30.77% तक कम करता है।
- अच्छे बगीचों में पत्ती की गुणवत्ता और उपज को 15-20% तक बढ़ाता है।
- प्रौद्योगिकी किसान अनुकूल है पत्ती की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए केवल एक छिड़काव/फसल की सिफारिश
- पोषण के अनुप्रयोग का सी: बी अनुपात 1:7.00 है
प्रयोग की विधि:
- 140 लीटर पानी में 1 लीटर पोषण घोलें और एक एकड़ शहतूत पर (7मिली / प्रति लीटर की दर से) इसका छिड़काव करें।
- छंटाई या पत्ता चुनने के 25 से 30 दिनों के बाद सुबह के शुरुआती घंटों में 8.00 बजे से 11:00 बजे के बीच पत्तों के भीगने तक शहतूत के पत्तों पर इसका छिड़काव करें।
प्रति लीटर पोषण का मूल्य: रु.150/-
स्रोतः
केन्द्रीय रेशम उत्पादन अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान, मैसूर, कर्नाटक