शहतूत खाद्य पौधों के रोग व कीटाणु

I. पत्तों की बीमारी

1. पत्तों के दाग (लीफ स्पॉट)

पैथोजन: केरकोसपोरा मोरिकोला

घटना: यह बरसात के बाद आनेवाले सर्दियों के मौसम में अधिक होती है। बीमारी छंटाई (डीएपी)/पत्ते काटने के 35- 40दिनों के बाद बढ़ना शुरू करती है और 70वें डीएपी पर गंभीर हो जाती है।

फसल को नुकसान: 10-12 %

लक्षण: पत्ती की सतह पर अनियमित परिगलित (गले हुए) भूरे, धब्बे दिखाई देते हैं। ये धब्बे, बढ़कर आपस में मिल जाते हैं और 'गोल छेद' छोड़ जाते हैं। बीमारी गंभीर होने के साथ-साथ पत्तियां पीली हो जाती हैं और सूखने लगती हैं।

silks
पत्तों के दाग

रोग के प्रसार के लिए जिम्मेदार कारक:

नियंत्रण के लिए अपनाये जाने वाले उपाय:

2. भुरभुरी (पाउडरी) फफूंद

पैथोजन: फिलेक्टिनिया कोरीलिया

घटना: यह बीमारी सर्दी और बरसात के मौसम में होती है और 40वें डीएपी/पत्ती की कटाई पर बढ़ती है तथा 70वें डीएपी पर गंभीर होती जाती है।

फसल को नुकसान: 5-10%

लक्षण: पत्तियों की निचली सतह पर सफेद धूल (पाउडर) जैसे धब्बे दिखाई देते हैं। इसी अंश की ऊपरी सतह पर क्लोरोटिक घावों का विकास होता है। बीमारी के गंभीर होने पर, सफेद भुरभुरे धब्बे भूरापन लिए काले रंग के हो जाते हैं, पत्ते, पीले, खुरदरे हो जाते हैं और अपने पोषक तत्वों को खो देते हैं।

silks
भुरभुरी फफूंद

रोग के प्रसार के लिए जिम्मेदार कारक:

नियंत्रण के लिए अपनाए जाने वाले उपाय:

3. पत्तों में जंग (लीफ रस्ट)

पैथोजन:सेरोटेलियम फीसी

घटना: यब बीमारी सर्दी और बरसात के मौसम के दौरान अधिक होती है। 45-50वें डीएपी पर बढ़ना आरंभ करती है और 70वें डीएपी पर गंभीर रूप ले लेती है। परिपक्व पत्तियां अधिक रोगप्रवण होती हैं।

फसल को नुकसान:  10-15%

लक्षण: शुरू में, पत्तियों पर गोल पिन के सिरे के आकार के भूरे फटने वाले घाव दिखाई देते हैं और बाद में पत्तियां पीली हो जाती हैं और सूखने लगती हैं।

silks

पत्तों में जंग (लीफ रस्ट)

रोग के प्रसार के लिए जिम्मेदार कारक:

नियंत्रण के लिए अपनाए जाने वाले उपाय:

4. सूटी मोल्ड

पैथोजन: कवक का एक समूह

घटना: यह बीमारी सर्दियों के मौसम (अगस्त से दिसंबर) में अधिक होती है।

फसल को नुकसान:  10-15%

लक्षण: पत्तियों की ऊपरी सतह पर मोटी काली तह बन जाती है।

नियंत्रण के लिए अपनाए जाने वाले उपाय:

II. जड़ों के रोग

1. जड़ की गाँठ

कारक जीव (जीवाणु): मेलोडोजाइन इन्कोग्निटा (निमेटोड)

घटना: बीमारी का प्रकोप पूरे साल होता रहता है और यह सिंचित परिस्थितियों के अंतर्गत रेतीली मिट्टी में अधिक आम है।

फसल को नुकसान 20 %

लक्षण:

silks silks
जड़ों की गाँठ निमेटोड रोग

रोग को फैलाने वाले कारक

निवारक उपाय:

2. जड़ों की सड़न

कारक जीव (जीवाणु): रिज़ोक्टोनिया बैटाटिकोला (= मैक्रोफोमिना फेजियोलिना)

संबंधित माध्यमिक रोगाणु: फुसेरियम सोलानी / एफ. ऑक्सीसपोरम/बॉट्रिओडिप्लोडिया थियोब्रोमे

घटना: पूरे साल सभी प्रकार की मिट्टियों में, खासकर जब मिट्टी की नमी और कार्बनिक पदार्थ कम हों।

फसल को नुकसान: 15% और अधिक मिट्टी के स्वास्थ्य और जलवायु के आधार पर।

लक्षण: शुरू में इस बीमारी के लक्षण जमीन के ऊपर पौधों के अचानक कुम्हलाने और शाखाओं के नीचे से पत्तियों के गिरने के रूप में प्रकट होते हैं और ऊपर की ओरबढ़ते हैं।

silks silks silks

जड़ों की सड़न के जमीन के ऊपर के लक्षण (पत्तियों का पीला पड़ना / कुम्हलाना)

silks silks silks
जड़ों की सड़न के जमीन से नीचे के लक्षण (जड़ों का सड़ना)

रोग को फैलाने वाले कारक:

नियंत्रण के उपाय: शहतूत की जड़ के सड़न की बीमारी के नियंत्रण के लिए एक लक्ष्य विशिष्ट नये निर्माण "नविन्या" (जड़ी-बूटी 80% और रसायन 20%) का प्रयोग किया जाता है।

प्रयोग की विधि: जमीन 15-30 सेमी ऊपर की सूखी टहनियों की छँटाई करें। तने के आसपास उथला गढ्ढा बनाएं और 1 लीटर पानी में 10 ग्राम नविन्या डालकर (यानी 100 लीटर पानी में 1 किलो नविन्या, 1 लीटर /प्रति पौधा की दर से 100 पौधों के लिए पर्याप्त होगा) नविन्या घोल का प्रयोग करें। पूरी तरह से सराबोर करने के लिए कटे हुए तने पर घोल डालें। सूरज की रोशनी से बचाव के लिए तने के आसपास की मिट्टी को ढक दें। रोग के प्रसार को रोकने के लिए आसपास के शहतूत के पौधों का भी उपचार करें।

बरती जाने वाली सावधानियां:

III. कीटाणु

1. गुलाबी फुसफुसा कीट (पिंक मीली बग)

घटना एवं लक्षण: पिंक मीली बग, मेकोनिलिकोकस हिरस्टस (ग्रीन) आमतौर पर शहतूत में टुकरा के रूप में जानी जाने वाले विकृति के लक्षण का कारण बनता है। कम अंतर-गांठ दूरी के साथ पत्तियां गहरे हरे रंग की, झुर्रीदार और मोटी हो जाती हैं जिसका परिणाम ऊपरी हिस्से का गुच्छे के आकार का होने/ पत्तों के दुबारा व्यवस्थित होने के रूप में प्रकट होता है। यह रोग साल भर होता है, लेकिन गर्मियों के महीनों के दौरान इसका प्रकोप बढ़ जाता है। इस कीट की वजह से शहतूत की पत्ती उपज में 4,500 किलोग्राम/ प्रतिहेक्टेयर/प्रति वर्ष की कमी होती है।

नियंत्रण के उपाय

यांत्रिक नियंत्रण:

silks silks silks

कैंची द्वारा प्रभावित हिस्से को कतर दें, उन्हें एक पॉलीथीन बैग में जमा करें और जला कर नष्ट कर दें। इससे कीटाणु की फिर से फैलने की संभावना को कम करने में मदद मिलेगी। रेशम के कीड़ों की चौथी अवस्था में भी इस अभ्यास का पालन किया जा सकता है।

रासायनिक नियंत्रण: छंटाई के 15-20 दिनों के बाद 0.2% डीडीवीपी 76% ईसी (2.63 मिलीग्राम/ लीटर पानी) का छिड़काव करें। सुरक्षा अवधि: 15 दिन।

जैविक नियंत्रण:

6 महीने के अंतराल पर दो बराबर हिस्से में 250 वयस्क भृंग की दर से हिंसक महिला पक्षी भृंग (लेडी बर्ड बीटल) क्रिप्टोलीमस मोनोट्राउजेरी या 500 वयस्क भृंग की दर से स्कीमनस कोसिवोरा छोड़ें।

silks silks 

हिंसक महिला पक्षी भृंग उपलब्धता: कीट प्रबंधन प्रयोगशाला, सीएसआर एवं टीआई, मैसूर (दूरभाष सं.0821-2903285) मूल्य: 120 रुपये प्रति इकाई।

2. पपाया मीली बग
silks silks silks

घटना एवं लक्षण: पपाया मीली बग, पैराकोकस मारगिनेटस एक विदेशी कीट है, जो पपीता, अमरूद, सागौन, सब्जियों, जतरोफा जैसी फसलों और पार्थेनियम, सीडा, एब्यूसीलॉन आदि जैसे खर-पतवारों को संदूषित करता है। शहतूत में इसके प्रकोप से प्रभावित हिस्से में कुरूपता, पत्तियों के अवरुद्ध विकास, लाल/काली चींटियों की मौजूदगी, शहद ओस स्राव, सीटी मोल्ड के विकास, और पौध की फौरन मौत का कारण बनता है। वर्तमान में पपाया मीली बग के हमले की घटना छिटपुट होती है।

पपाया मीली बग का पारंपरिक (शास्त्रीय) जैविक नियंत्रण
silks silks

नोट: विदेशी परजीवी राष्ट्रीय कृषि उपयोगी कीट ब्यूरो (एनबीएआईआई), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, बंगलौर [ विपरीत: सीबीआई, गंगानगर, बंगलौर, फोन नं. 080-23511982/98] में उपलब्ध हैं

silks silks silks silks

शहतूत की पत्ती को गोल करने वाला कीट (मलबरी लीफ रोलर)

घटना एवं लक्षण: शहतूत की पत्ति को गोल करने वाला, डाइफानिया पलवेरुलेनाटलिस का प्कोप मानसून की शुरुआत के साथ शुरू होता है। यह जून से फरवरी तक होता है लेकिन सितंबर- अक्टूबर महीने के दौरान चरम पर पहुंच जाता है। लार्वा रेशमी धागे से शहतूत की पत्ती के किनारों को बांधता है, इसके अंदर रहता और खाता है। संदूषित भाग के नीचे इसका मल देखा जा सकता है।

नियंत्रण के उपाय

यांत्रिक नियंत्रण: प्रभावित भाग (लार्वा के साथ) को कैंची से निकाल दें, एक पॉलीथीन बैग में इकट्ठा करें और जलाकर नष्ट कर दें।

रासायनिक नियंत्रण:

जैविक नियंत्रण: ट्राइकोग्रामा चिलोनीस अंडा परजीवी मुक्त करें- 1 ट्रिचो कार्ड/प्रति सप्ताह की दर से (4 सप्ताह के लिए)। ट्राइकोग्रामा परजीवी की रिहाई के बाद किसी भी कीटनाशक का छिड़काव न करें।

(नोट: ट्रिचो कार्ड मूल्य के आधार पर कृषि विज्ञान केन्द्र, सुत्तुर, नंजनगुद तालुक, मैसूर जिले या परजीवी प्रजनन प्रयोगशाला, कृषि विभाग, {डीसी कार्यालय के पास} मांड्या में उपलब्ध हैं)

4. बिहार बालों वाला कीड़ा (कैटरपिलर)

घटना एवं लक्षण: शहतूत में बिहार बालों वाले कैटरपिलर, स्पिलार्क्टिया ऑब्लिक्वा का प्रकोप मानसून की शुरुआत के साथ शुरू होता है। यह साल भर होता है और कुछ इलाकों में यह छिटपुट रूप में प्रकट होता है। युवा लार्वा समूह में जाल का आभास देने वाले पत्ती के नीचे के भाग को खाते पाए जाते हैं और इसे दूर से ही पहचाना जा सकता है। बड़े हो जाने पर यह अकेले, बहुत सक्रिय होकर पूरे क्षेत्र में फैल जाते हैं और बहुत तेजी से पत्तों को खाते हैं।

नियंत्रण के उपाय

भौतिक/यांत्रिक नियंत्रण: अंडे या युवा कैटरपिलर के समूह को एकत्र करें और 0.5%साबुन के घोल में डुबोकर या जलाकर नष्ट कर दें।

रासायनिक नियंत्रणः

silks silks  

जैविक नियंत्रण: 4 सप्ताह के लिए 1 ट्रिचो कार्ड/प्रति सप्ताह की दर से ट्राइकोग्रामा चिलोनीस अंडा परजीवी छोड़ें । ट्राइकोग्रामा परजीवी को छोड़ने के बाद किसी भी कीटनाशक का छिड़काव न करें।

silks silks silks
5. थ्रिप्स
silks silks  

Occurrence & Symptom : थ्रिप्स, प्सेडोडेन्ड्रोथ्रिप्स मोरी, तमिलनाडु में एक प्रमुख कीट और कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में मामूली कीट है। यह पूरे वर्ष होता है और गर्मियों के दौरान (फरवरी- अप्रैल) इसका प्रकोप अधिक होता है। वयस्क और बच्चे दोनों पत्ते के ऊतकों को फाड़ते हैं और उसका रस चूसते हैं। प्रभावित पत्तियों में हमले के प्रारंभिक दौर में धारियाँ और उन्नत चरण में और भूरे/पीले रंग के धब्बे दिखाई देते हैं।

नियंत्रण के उपाय

भौतिक/यांत्रिक नियंत्रण: शहतूत के पत्तों के नीचे से थ्रिप्स की आबादी और अंडे को हटाने के लिए फव्वारा सिंचाई का इस्तेमाल करें।

silks silks  

रासायनिक नियंत्रण: छंटाई के 15 दिन बाद 0.1% रोगर (3मिलीग्राम/लीटर पानी की दर से) का छिड़काव करें। सुरक्षा अवधि: 20 दिन।

जैविक नियंत्रण: हिंसक लेडी बर्ड बीटल (स्कीमनस कोसिवोरा 500/एकड़ की दर से) छोड़ें।

6. White fly
silks silks silks

सफेद मक्खी नाम वयस्कों के सफेद रंग और परेशान करने पर उड़ान भरने की उनकी प्रवृत्ति से लिया गया है। वयस्कों में आटे जैसे पंखों की एक जोड़ी होती है जो कुछ नसों के साथ आमतौर पर सफेद होते हैं। हाल के वर्षों में डायलुपोरा डिसेम्पुंक्टा का प्रकोप केरल के दक्षिणी राज्य में शहतूत पर हुआ है और अब कर्नाटक के मैसूर और मांड्या जिलों के सिंचित क्षेत्र में शहतूत पर गंभीर रूप से हमला दिखाई दिया है।

घटना एवं लक्षण: मोम सामग्री की वृद्धि सफेद मक्खी के हमले का विशिष्ट लक्षण है। लंबे समय तक सूखे के बाद आने वाला गरम आर्द्र मौसम सफेद मक्खी के प्रकोप के अनुकूल होता है। यह रोग मार्च से जून और अक्टूबर से दिसंबर के महीनों के दौरान होता है। बच्चे और वयस्कों दोनों पत्तों में छेद कर उसका रस चूसते हैं और क्षतिग्रस्त पत्ती रेशमकीट के पालन के अयोग्य हो जाती है।

नियंत्रण के उपाय

यांत्रिक/भौतिक नियंत्रणः

रासायनिक नियंत्रण: छंटाई के 12 दिन के बाद 0.076% डीडीवीपी (1 मिलीग्राम/प्रतिलीटर पानी की दर से) (सुरक्षा अवधि:10 दिन) का छिड़काव करें और 0.05% रोगर 30% ईसी 1.5 मिलीग्राम/प्रति लीटर (सुरक्षा अवधि: 20 दिन) के साथ दूसरा छिड़काव करें।

जैविक नियंत्रण:हिंसक लेडी बर्ड बीटल 250 वयस्क भृंग की दर से क्रिप्टोलीमस मोनट्रोजियरी या 500 वयस्क भृंग/प्रति एकड़ की दर से स्कीमनस कोसिवोरा छोड़ें।

स्रोतः

केन्द्रीय रेशम उत्पादन अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान, मैसूर, कर्नाटक